\\झूठे ढोल \\
भेद भ्रष्ट्राचार क्या खुदाई
श्रम के कातिल लगाते है
ठहाके
जीते-मरते मरते सपनों कि
लाश
ढोते फ़र्ज़ के सिपाही
थक जाते
लूट रही नसीब उनकी
हक़ का चीरहरण
फरेबियों का देखो खेल
लूट रहे तकदीर निरंतर
सर्वहारा की बस्ती में
नहीं गूंजता कोई
विकास का मंतर
छल-बल दमन का कोड़ा
फटकारते
कंस को
आराध्य मानने वाले
शोषित आदमी कि नसीब
बेख़ौफ़ लूट कर
आगे बढ़ जाते
अफ़सोस प्यारे
भूख पसरी है द्वारे
उपाय फेल सारे
झूठे ढोल फोड़ रहे
कान हमारे.................नन्द लाल भारती ..२९.११.2011
Monday, November 28, 2011
Friday, November 18, 2011
हक़ लूटने वालो
हक़ लूटने वालो
ये आंसू देने वालो
तुम्हे क्या मिलेगा
मिल भी गया तो
लेकर जाओगे कहाँ
अरे पराये के आंसू
से कड़ी फसल
जवान सपने
उजाड़ना ना देगा सकूँ
भले देख देख खुश होते रहो
दूसरे के हक़ कि लूटी मोती
इत्मीनान से सोच लेना
एक दिन सच्चे मन से
कमजोर का हक़
लूटने लूटाने का क्या मिला
खनकते सिक्के या ऊँचा ओहदा
बददुआ गरीब के कभी
बेकार नहीं ज़ाती
ले डूबती है
जन्म जन्मान्तर की
थाती
बुझ ज़ाती है कुल की बाती
याद रख धोखेबाज
छल-कपट -भेद-विष बीज
बो कर
कमजोर का हक़ लूटने वालो
दूसरे के हक़ कि लूटी मोती
कई जन्मो तक
पड़ती रहेगी भारी
पीढिया तेरे किये पर रहेगी रोती......................नन्द लाल भारती .....१८.११.२०११
ये आंसू देने वालो
तुम्हे क्या मिलेगा
मिल भी गया तो
लेकर जाओगे कहाँ
अरे पराये के आंसू
से कड़ी फसल
जवान सपने
उजाड़ना ना देगा सकूँ
भले देख देख खुश होते रहो
दूसरे के हक़ कि लूटी मोती
इत्मीनान से सोच लेना
एक दिन सच्चे मन से
कमजोर का हक़
लूटने लूटाने का क्या मिला
खनकते सिक्के या ऊँचा ओहदा
बददुआ गरीब के कभी
बेकार नहीं ज़ाती
ले डूबती है
जन्म जन्मान्तर की
थाती
बुझ ज़ाती है कुल की बाती
याद रख धोखेबाज
छल-कपट -भेद-विष बीज
बो कर
कमजोर का हक़ लूटने वालो
दूसरे के हक़ कि लूटी मोती
कई जन्मो तक
पड़ती रहेगी भारी
पीढिया तेरे किये पर रहेगी रोती......................नन्द लाल भारती .....१८.११.२०११
Sunday, November 6, 2011
भेद भरी दुनिया में
भेद भरी दुनिया में ॥
मधुमास को रौंद गयी
विरोध की आंधी
पाँवन गड़े शूल
ह्रदय भरे घाव भयावह
नसीब पर लटका ताला
मन- रोया बार-बार
भेद के आगे
तालीम योग्यता का नहीं
इतबार
आंसूओं ने सींचा
अरमान भला ।
ह्रदय में उमड़ता
सपनों का बसंत
उम्र की तेज रफ़्तार
शोषण , उत्पीडन की प्रचंड तूफान
मधुमास में ऐसी भेद की आंधी
नहीं था भान
सांस थमी जीने की कला
बिखरने लगे
उम्मीदों के पात भला ।
बेमुर मार दिए गए सपने
भेदभाव,पक्षपात के ठीहे पर
अरमानो की मृत शैय्या छाती पर
तालीम हुई उपहास प्यारे
रंग बदलती दुनिया में
जीवन जंग हुआ प्यारे ,
नित-नित मरते सपने
जीवन के आधार नित नए सपने
यही है भेद भरी दुनिया में
सांस के साज हमारे ..............नन्द लाल भारती...०७.११.२०११
मधुमास को रौंद गयी
विरोध की आंधी
पाँवन गड़े शूल
ह्रदय भरे घाव भयावह
नसीब पर लटका ताला
मन- रोया बार-बार
भेद के आगे
तालीम योग्यता का नहीं
इतबार
आंसूओं ने सींचा
अरमान भला ।
ह्रदय में उमड़ता
सपनों का बसंत
उम्र की तेज रफ़्तार
शोषण , उत्पीडन की प्रचंड तूफान
मधुमास में ऐसी भेद की आंधी
नहीं था भान
सांस थमी जीने की कला
बिखरने लगे
उम्मीदों के पात भला ।
बेमुर मार दिए गए सपने
भेदभाव,पक्षपात के ठीहे पर
अरमानो की मृत शैय्या छाती पर
तालीम हुई उपहास प्यारे
रंग बदलती दुनिया में
जीवन जंग हुआ प्यारे ,
नित-नित मरते सपने
जीवन के आधार नित नए सपने
यही है भेद भरी दुनिया में
सांस के साज हमारे ..............नन्द लाल भारती...०७.११.२०११
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