रंग बदलते आदमी ने
वक्त का रंग बदल दिया ,
भगवान गॉड या
कहे खुदा की खैर
कहे खुदा की खैर
बची है ज़िन्दगी
नरपिशाचो के बुने जाल
जातिवाद महंगाई,भष्ट्राचार से
सहमी सहमी सी
बित रही है ज़िंदगी। …।
बित रही है ज़िंदगी। …।
डॉ नन्द लाल भारती 04.07.2014
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