Wednesday, August 22, 2012

सदविचार-क्रांति ....

सदविचार-क्रांति
सत्ता की हुंकार हाय रे
दौलत की तलवार
दिल ना जीत सकी
बढ़ी है तकरार
अभिमान की रार
चाहे शक्ति अपरम्पार
सद्कर्म, सच्चाई प्रताड़ित
पर ना मानी हार ..............
मानवता की बात करे
दीन-वंचितों के दर्द हरे
जाति-धर्मवाद का त्याग करे
आत्मा की आवाज़ सुने
ह्रदय में बहुजन हिताय का
सदभाव सजाये
वक्त की  पुकार
सेवा-सुरक्षा का ले व्रत
देश-मानवता हो
जीवन का सार
सद्कर्म, सच्चाई की ना हुई  हार ..............
मन-भेद   दुश्मन है प्यारे
बंधुत्वभाव और विकास का
सदविचार-क्रांति की जरुरत है प्यारे 
राष्ट्रहित-मानवहित में संकल्प दोहराए
सपने होगे साकार
जीओ और जीने दो 
समताक्रांति का होवै आधार ............नन्द लाल भारती २१.०८.2012

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