आरक्षण
संवैधानिक आरक्षण
यानि
अत्याचार,हक़ की लूट
शोषण और जुल्म पर
तनिक मरहम
अच्छी बात तो नहीं
और
अच्छी बात हो सकती है
सामाजिक समानता फले-फूले
सद्भावना हर जबान झूले
असली आज़ादी
शोषित-वंचित आम आदमी के
द्वार पहुंचे
गरीबी,भूखमरी,भूमिहीनता
जातिभेद का अभिशाप मिटे
समान शिक्षा और सबको शिक्षा
रोजगार की हो गारंटी
आरक्षण की फिर क्या आवश्यकता
ख़त्म हो जाए
बड़ी अच्छी बात होगी
जातिवाद के बूढ़े आरक्षण का
ना नाम रहे
आदमियत का मान रहे
मंदिर प्रवेश,दूल्हा चढ़े घोडी पर
ना विवाद हो कोई
शुद्र गंवार ढोल पशु नारी
ताडन के अधिकारी की
ना रट लगे
सुने, गुने, धुनें
आदमी आदमियत के लिए जिए
आरक्षण की फिर क्या आवश्यकता
मानवता-समानता-सम्पन्नता से
अच्छी और क्या बात होगी .............नन्द लाल भारती ......०५.०८.२०१२
संवैधानिक आरक्षण
यानि
अत्याचार,हक़ की लूट
शोषण और जुल्म पर
तनिक मरहम
अच्छी बात तो नहीं
और
अच्छी बात हो सकती है
सामाजिक समानता फले-फूले
सद्भावना हर जबान झूले
असली आज़ादी
शोषित-वंचित आम आदमी के
द्वार पहुंचे
गरीबी,भूखमरी,भूमिहीनता
जातिभेद का अभिशाप मिटे
समान शिक्षा और सबको शिक्षा
रोजगार की हो गारंटी
आरक्षण की फिर क्या आवश्यकता
ख़त्म हो जाए
बड़ी अच्छी बात होगी
जातिवाद के बूढ़े आरक्षण का
ना नाम रहे
आदमियत का मान रहे
मंदिर प्रवेश,दूल्हा चढ़े घोडी पर
ना विवाद हो कोई
शुद्र गंवार ढोल पशु नारी
ताडन के अधिकारी की
ना रट लगे
सुने, गुने, धुनें
आदमी आदमियत के लिए जिए
आरक्षण की फिर क्या आवश्यकता
मानवता-समानता-सम्पन्नता से
अच्छी और क्या बात होगी .............नन्द लाल भारती ......०५.०८.२०१२
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