मुबारक नया साल/कविता
क्या किया जन-देशहित में पूरे साल
करें सच्चे मन से आकलन फिलहाल।
किया या नहीं किया ना करें अफ़सोस
आओ चले नई राह, लेकर नई सोच।
नई उमंग,नया एहसास नया साल है
मिले खुशियों का उजास,नया उत्साह।
नई उम्मीदें,नया जोश,एहसास सुहाना
नव ऊर्जा संग बढे,त्यागे रिवाज पुराना।
नया साल,नया लक्ष्य ,जीवन खुशहाल
क्या गैर क्या बैर, जग में बने मिसाल।
नया साल नई प्रतिज्ञा करे नई शुरुआत
सदभाव जीओ और जीने दो की हो बात।
ना जाति भेद का दर्द,ना हो कोई नरसंहार ,
देशधर्म,संविधान धर्मग्रन्थ का हो संचार।
आस नया साल,समता संवृध्दि विकास
नया साल नई सौगात, सुखद एहसास।
त्याग कर मन भेद,आओ हाथ बढाए,
अदना करे यही कामना
2016...खुशियो की सौगात लेकर आये।
नए साल की खुशियाँ छाई रहे पूरे साल
कबूल हो अदने की शुभकामना,
मुबारक नया साल.. .........
डॉ नन्द लाल भारती
31, दिस. 2015
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