हमने देखा है /कविता
अपनी जहां में हमने देखा है
जातिभेद में डूबे शैतान को
उंच-नीच के तूफ़ान को
हाशिये के आदमी की
ज़िन्दगी में
आग लगाते हैवान को
जी हाँ हमने देखा है ...........
अपनी जहां में हमने देखा है
शोषित आदमी की कैद करते
नसीब
लूटते अरमान को
शोषित आदमी की ज़िन्दगी
आग का दरिया सिर पर
तेज़ाब के बोझ को
दर्द में जीते आंसू से
ज़िन्दगी सींचते शोषित को
जी हाँ हमने देखा है ...........
अपनी जहां में हमने देखा है
हुनर की दुत्कार को
योग्यता के बलात्कार को
जातिवाद के ठीहे पर
आदमियत के क़त्ल को
सच कहूँ शोषित आदमी के
साथ हुए हर जुल्म को
जी हाँ हमने
अपनी छाती पर होते हुए देखा है ...........
डॉ नन्दलाल भारती 22.12 2015
BHARAT MEI JAATI VAAD KO SHURU SE HI BHADAVA DIYA HAI JO KI GALAT HAI BAHUT SAARE DANGO KE PICHE YAHI KARAN RAHA HAI
ReplyDeleteFASHION BEST DEALS