।। श्रमेव जयते।।
जीवन का श्रमेव जयते,
रजत जयंती वर्ष,
फ़िजा में बसंत,
मन में छाया है हर्ष....
कृभको सेवा-जनसेवा में
बीत गए 25 बरस,
समयबद्धता,कर्तव्यनिष्ठा
और उमंग
बरसा सदा सरस......
यकीन समर्पण, आस
साथ रहा उजास,
सम्मान कर्मपूजा का
दमक गया विश्वास.......
दूरदृष्टि, पक्का इरादा मेहनत
और अनुशासन का
रखना है मान,
उद्देश्य हुआ अपना फ़र्ज़ पर
फ़ना
यकीनन इससे बढ़ता है
स्व-मान ...
डॉ नन्दलाल भारती
28/07/2017
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