अपने खून के दिये दर्द से
इंसान वैसे ही रोता है
जैसे कसाई की धारदार
छुरी का दर्द होता है।
डॉ नन्दलाल भारती
30/04/2017
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अपने बेवफा हो जाए
लहू के आँसू रुलाए
माँ बाप के त्याग पर
सवाल उठाये
सच ये ऐसी सजा है
जहां चुल्लू भर पानी मे
डूब मरना नजर आए
पर वाह रे लहू का मोह
दिल सलामती में
हाथ फैलाये।
डॉ नन्दलाल भारती
30/04/2017
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बाप का रोना
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कहते ही नहीं सच भी है
बाप जीवन मे दो बार रोता है
पहली बार जब
बेटी को विदा करता है
पर इस रुदन में
सुखी जीवन की उम्मीदे
होती है
घर संसार के कुसुमित
होने के सपने होते है
बेटी के स्वर्णिम भविष्य के
सपने होते है
इस आंसू में खुशी की
बौझारे होती है
दूसरी बार जब एक बाप
रोता है
इस रुदन में बुढ़ापे की
लाठी टूटने की
हृदय विदारक ध्वनि
होती है
सपनो के खंड खण्ड
होने की कराह होती है
माँ के दूध और सवाल
होता है
बाप का श्रम बेइज्जत
होता है
बाप को बेटा जुदा करता है
मुसीबत की घड़ी में बाप
बिखर कर टूट टूट कर
रोता है।
डॉ नन्दलाल भारती
30/04/2017
जिन्दगी में एक पिता की जगह कोई भी सख्स नहीं ले सकता | एक पिता अहमियत परिवार उसी तरह हे जिस तरह जीवन जीने के प्राणवायु की | Talented India News
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