पूजा कर्म/कविता
हुआ पूजकर्म अपना
शब्द साधना ,
कबूल हुई नरोत्तम को आराधना ......
ना जीत ना कोइ हार
कुसुमित हुआ संसार
अदना की बगिया से
उठने लगे सदविचार .....
अर्थ की तुला पर '
ना ठहरे कोई भार
सृजन धर्म जीवन सार .....
जीत-जीत हार
पुलकित रहे विचार
दुआ हुई कबूल
दिल से उगे शब्द बीज
बने जीवन हार ...
शब्द बीज बने रहे बने वट-वृक्ष
जीवन साध हमारी ,
हे नर -देवता शत-शत नमन
अदना करे वंदना तुम्हारी ...डॉ नन्द लाल भारती 14.07.2013
हुआ पूजकर्म अपना
शब्द साधना ,
कबूल हुई नरोत्तम को आराधना ......
ना जीत ना कोइ हार
कुसुमित हुआ संसार
अदना की बगिया से
उठने लगे सदविचार .....
अर्थ की तुला पर '
ना ठहरे कोई भार
सृजन धर्म जीवन सार .....
जीत-जीत हार
पुलकित रहे विचार
दुआ हुई कबूल
दिल से उगे शब्द बीज
बने जीवन हार ...
शब्द बीज बने रहे बने वट-वृक्ष
जीवन साध हमारी ,
हे नर -देवता शत-शत नमन
अदना करे वंदना तुम्हारी ...डॉ नन्द लाल भारती 14.07.2013
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