Tuesday, August 20, 2013

हिंदी जीवन थाती /कविता


हिंदी जीवन थाती /कविता 
कल-युग उथल-पुथल ,स्वार्थ का जारी दौर
घायल हम, अपनी भाषा और आज़ादी
हिंदी लाओ  देश बचाओ की है आंधी ,
माता-मातृभूमि और मातृभाषा को लेकर
दिल में पलते जज्बात तूफानी ,
ख्वाहिश, जहां में गूंजे जय हिंदी ,
जय हिन्दुस्तानी ,
जीवन ज्योति हिंदी  भाषा ,
अपनी है पहचान ,
मत मातृभूमि और मातृभाषा पर
क्यों ना हो जाए कुर्बान ,
उपकार मातृभाषा का कैसे  भूल जाऊं
मातृभूमि पर हुआ अवतरण जब ,
गूंजा घर-आँगन सोहर गान ,
हिंदी जय-विजय अपना स्व-मान
राष्ट्र भाषा हिंदी गगन सी छायी ,
पाँव पड़े धरती पर
जब जिह्वा हिंदी में तूतलाई,
मा की ममता ,
पिता का प्यार हिंदी में पाया ,
जीओ और जीन दो का उदगार ,
मातृभाषा में आया ,
आजादी की भाषा हिंदी सेतु
विश्व गुरु का शोभित सम्मान ,
बदले युग में पाए हिंदी अपनी
विश्व भाषा का मान ,
घायल हम,अपनी भाषा और आज़ादी
आगे आओ,मान बढाओ ,
राष्ट्र गौरव हिंदी भाषा
बनी रहे जीवन थाती। … डॉ नन्द लाल भारती  13.08.2013

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