गरीब /कविता
धनिखाओं की बस्ती में ,
दौलत का बसेरा ,
गरीबों की बस्ती में ,
भूख,अभाव का डेरा.……
वही मुसीबतों की कुलांचे ,
चिथड़ो में लपटे शरीर ,
चौखट पर लाचारी ,
कोस रहे तकदीर ………
गरीबो की तकदीरो पर ,
डाके यहाँ ,
भूख पर रस्साकस्सी ,
मतलब सधते है वहाँ ……
मज़बूरी के जाल
उम्र बेचा जाता है ,
धनिखाओ की दूकान पर ,
पूरी कीमत नहीं है .......
बदहाली में जीना मरना ,
नसीब है ,
अमीर की तरक्की ,
गरीब, गरीब ही रह गया है
डॉ नन्द लाल भारती
आज़ाद दीप -15 एम -वीणा नगर
इंदौर (मध्य प्रदेश)452010
No comments:
Post a Comment