संवाद / कविता
करना चाहता हूँ संवाद की खेती ,
दे सके ऊर्जा जो
दमित को उठ खड़ा होने की ,
लूटी नसीब सवारने की
हक़ की हुंकार की ………… ,
ताकि बो सके सपने
चल सके निर्भीक
समय के समय के संग
समय के समय के संग
निखर उठे सदियो से
कुम्हिलाया रंग ................
कुम्हिलाया रंग ................
अभिलाषा है यही जीवन की
समय से संवाद दमितहित में बस
यही उम्मीद लिए
संवाद के बीज बो रहा हूँ। .............
डॉ नन्द लाल भारती 27 .03 2014..
//अपनी परछाई अपना यार //
//अपनी परछाई अपना यार //
ना छोटा ना बड़ा
ना कभी उंच नीच की बात
ना कभी उंच नीच की बात
ऐसा बसंतमय जीवन साथ
हर दर्द में रहा खड़ा
वही असली यार-रिश्तेदार
ना तेरा ना मेरा ना कोई रार
जाति -धर्म-भेद ना तकरार
सुख में साथ दुःख में छांव
हाथ बढाए सदा
निकालने को मुश्किलो के पार
जीवन जहर भले कहे कोई
जीवन सफल हो जाता
जब होता साथ ऐसा यार
जब होता साथ ऐसा यार
दर्द का रिश्ता सच्चा यार ,
संबंधो का होता प्राण
साथी जीवन सार,
अपनी परछाई अपना यार ................
अपनी परछाई अपना यार ................
डॉ नन्द लाल भारती 26 .03 2014..
जान लो मान लो ये
बेचैनियाँ बोने वालो ,
बेपर्दा होगा जब
मुखड़ा तुम्हारा ,
मुखड़ा तुम्हारा ,
गुस्ताखियां छीन लेगी
सकून सारा ,
सकून सारा ,
तुम्हारे अपने तुम्हे ,
ख़ूनी कहा करेगे ,
जब आएगा नाम तुम्हारा
मुंह छिपाया करेगे ,
तुम कब्र में रहोगे या
द्वारिका ,हरिद्वार या
काशी के बहाव में
काशी के बहाव में
कहीं चैन से
सो ना पाओगे
दीन को
कतरा-कतरा आंसू दिए जो
कतरा-कतरा आंसू दिए जो
हिसाब कि किताब में ,
नर पिशाच रह जाओगे। …… डॉ नन्द लाल भारती 24 .03 2014..
//विश्व जल दिवस //
विश्व जल दिवस
यानि जल के प्रति जिम्मेदार
जबाबदेह होना
और जीवन सहेजना है ,
क्योंकि
जल है तो कल है
जल है तो कल है
जल ही तो जीवन है ,
जल जीवन धार
जल ही जीवन संचार
बिन जल कैसा जीवन …?
जल संचय जीवन सहेजना भी तो है ,
जल संचय की कठोर प्रतिज्ञा
जल को प्रदूषण से बचाये
आज विश्व जल दिवस ,
जिम्मेदारी समझे समझए
जल संचय और
जल प्रदूषण से हो मुक्त
जल प्रदूषण से हो मुक्त
विश्व जल दिवस आज
आज के दिन ऐसी कसम दोहराए
आज के दिन ऐसी कसम दोहराए
नेक प्रकृति प्रेमी होने का फ़र्ज़ निभाए....................
डॉ नन्द लाल भारती 22 .03 2014..
No comments:
Post a Comment