धरती का लाल/ कविता काश अपनी जहां में
संसद पहुँच जाता ....डॉ नन्द लाल भारती 21.05.2013
कोइ चमत्कार हो जाता
धरती का लाल विधान सभा संसद तक पहुँच पाता
लालबहादुर शास्त्री होते
आदर्श अपने
उनकी बाताई राह पर चलता
भले ही अर्थ की तुला पर
व्यर्थ ठहरता ,
अफ़सोस तनिक न करता
दुनिया के सामने
मतदाता का कद बढ़ाता
मतदाता का कद बढ़ाता
संसद का स्वाभिमान बढ़ाता
दागियो के लिए
विधान सभा संसद के
दरवाजे हो जाते बंद सदा
हर आँखों में सपने धरती के लाल
लालबहादुर के सजते
अम्बेडकर का समातावाद
सर चढ़ कर बोलता
ना होता किसी बस्ती के
कुएं का पानी अपवित्र
नर-नारी सम्मान होते
ऊँच -नीच का कोइ राग न होता
निः शुल्क शिक्षा होती एक सामान
सम्मान संग रोजी-रोटी की गारंटी
भूमिहीनता जातिवाद का न बजता डंका
देशद्रोही भ्रष्टाचारियो की
जल जाती लंका
जगत देश की जय जयकार करता
दुनिया में देश का गौरव बढ़ जाता
काश कोई चमत्कार हो जाता
धरती का लाल विधान सभा संसद पहुँच जाता ....डॉ नन्द लाल भारती 21.05.2013
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