आदमियत की राह तो जाओ .......
सच्ची गाथा नर से नारायण
सच्ची गाथा नर से नारायण
परमार्थ भाव जब नर में जागा .
जीवन अमर हुआ ऐसे नर का
धरती पर स्वर्ग का सुख पा जाता .
बदला युग पर ना बदके लोग
अपनी जहां को डंसता जाति भेद का रोग .
छूत -अछूत के नाम आदमी ना भाता
तालीम बौनी अदने की हक़ लूट जाता .
अदना की कोई ना सुने फ़रियाद यहाँ
छोटे लोग कह कर दण्डित किया जाता .
बूँद-बूँद लहू पसीना बन कर अदने का
लिखता विकास धरती को स्वर्ग बनाता .
नसीब उसके दहकता भेद भय औरर भूख
अदना हो भले शिखर,जीवन का सुख लूट जाता।
सच्ची गाथा नर से नारायण
जातिवाद के शिकार,स्वार्थी आदमी भूल जाता
अदना का दर्द कौन जाने, कराह अनसुना हो जाता .
कसम है तुमको नारायण ना बन सके तो क्या ....?
अपनी जहां में नरोत्तम बन कर दिखाओ
जाति भेद का मुखौटा उतारो
आदमी हो आदमियत की राह तो जाओ .......
डॉ नन्द लाल भारती
09 .05.2013
डॉ नन्द लाल भारती
09 .05.2013
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