क्या कहू कहने को
शब्द कम पड़ जाते हैं
आपकी बदौलत प्यारे
मेरे अक्स रह जाते है
पराई दुनिया से
हम क्या पाते
आप हैं तो दुनिया है
आपकी नियामत
हम उम्र पाते हैं ...............नन्द लाल भारती ..२१.०३.२०१२
००००००००००००
ये बहार का आलम
जवाँ उम्र हमारी
बसंत नहीं चढ़ा फिजा में
दिल में तासीर हमारी
बाते हम सदा
सदाचार प्यारे
खुदा नहीं हम
उसी कि प्रतिनिधि है
ये जीवित तस्वीर हमारी ....नन्द लाल भारती २१.०३.२०१२
००००००००००००००
कहने को तो हम
खुद को माली कहते है
खुदा गवाह है
कितनो की जड़े
खोदते रहते हैं
ये मत भूलो
सजा से हम बंच जायेंगे
खुदा के घर देर है
अंधेर नहीं
सच कहते हैं ......नन्द लाल भारती .......२१.०३.२०१२
००००००००००००
ये महकती बहारे
बरसती रहे
हमारे जहां में
हम है फूल प्यारे
भले कांटे दुखाते हो
दिल हमारे
सुगंध हम में है
कांटे दर्द देते है सारे .......नन्द लाल भारती ॥ २१.०३.२०१२
Tuesday, March 27, 2012
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