Tuesday, March 27, 2012

कवितायें

क्या कहू कहने को
शब्द कम पड़ जाते हैं
आपकी बदौलत प्यारे
मेरे अक्स रह जाते है
पराई दुनिया से
हम क्या पाते
आप हैं तो दुनिया है
आपकी नियामत
हम उम्र पाते हैं ...............नन्द लाल भारती ..२१.०३.२०१२
००००००००००००
ये बहार का आलम
जवाँ उम्र हमारी
बसंत नहीं चढ़ा फिजा में
दिल में तासीर हमारी
बाते हम सदा
सदाचार प्यारे
खुदा नहीं हम
उसी कि प्रतिनिधि है
ये जीवित तस्वीर हमारी ....नन्द लाल भारती २१.०३.२०१२
००००००००००००००
कहने को तो हम
खुद को माली कहते है
खुदा गवाह है
कितनो की जड़े
खोदते रहते हैं
ये मत भूलो
सजा से हम बंच जायेंगे
खुदा के घर देर है
अंधेर नहीं
सच कहते हैं ......नन्द लाल भारती .......२१.०३.२०१२
००००००००००००
ये महकती बहारे
बरसती रहे
हमारे जहां में
हम है फूल प्यारे
भले कांटे दुखाते हो
दिल हमारे
सुगंध हम में है
कांटे दर्द देते है सारे .......नन्द लाल भारती ॥ २१.०३.२०१२

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