पद - दौलत के लिए
जीवन का मधुमास हुआ
निछावर
संघर्षरत-तालीम
बदले अजस काँटों का
हार मिला...........
दबंगता-गफ्लते-
शाजिशों का खेल
कठिन श्रम हाय रे
साजिशें
सपनों को आकार ना मिला...............
मृत शैय्या पर उम्मीदे
धोखा शरंदो sharando का
डंसता
चिंता के बादल धमकाते
अभिलाषा रह जाएगी
अधूरी
पद-दौलत से बनी रही
दूरी
ऊजला कद
लेखनी ने की पूरी........
नहीं ठहरते पद दौलत अब
जग मान गया
पद उगले भले
कनक के ढेर गगनचुम्बी
लेकिन
कद की बराबरी
कर नहीं सकता
कद अजर है प्यारे
पद हो नहीं सकता....नन्दलाल भारती 21.01.2012
Saturday, January 21, 2012
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