Monday, January 30, 2012

ना मौत का सामान बेचा करो....

चेहरा बदलने में माहिर लोग
इमान,मर्यादा का कर रहे भोग
लाभ की तुला पर आदमी तरासते
झूठ को सच करने पर जोर अजमाते
नियति में खोट जेब रहते कतरते
खून में हाथ लाल बेदाग रहते
मिलावट -दूध तक को जहर बनाते
गारंटी की आड़ में ठगते रहते
ललाट तिलक चन्दन लेप मलते
सफ़ेद दर्शन, तासीर से कत्ली लगते
फरेबी मिजाज से,मीठा जहर बेचते
गफलत में रखकर रूख तय करते
ठगों से बचने की हर हिकमत
फेल हो जाती
ग्राहक भगवान कहकर
मीठी छूरी का वार करते
लाभ के लिए मौन हत्यारे
खून पीया करते
मौत के सौदागरों तनिक
खुदा से डरा करो
गफलत में रखकर
ना ठगा करो
और
ना मौत का सामान बेचा करो.........नन्दलाल भारती....31.01.2012

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