अपनो-परायों के बीच खांई
गैरो के घाव पर खार
डालने वाले
ख़ुशी का अर्थ क्या जाने.................
आँखों में धूल,
कमजोर के हको की लूट
जोड़-तोड़ की उगाही,
करने वाले
जाम की थाप पर
मचलने वाले
ख़ुशी का अर्थ क्या जाने.................
चाँदी की थाली, सोने के चम्मच से
खाने वाले को क्या होगा
भूख क्या होती है...?
क्या होता है
सूखी रोटी का सुस्वाद...?
नहीं आता जिनको
गरीब के दर्द पर बोलने
सद्भाना,अपनेपन के बोल प्यारे
बनावटी चेहरा
झूठी तारीफ के ढोल पीटने वाले
ख़ुशी का अर्थ क्या जाने.................
इच्छा अनंत जिनकी
शोषण,धोखा,भ्रष्टाचार
जिनका पेशा
पल-पल नव-नव चहरे
अरे मन में भूख की बाढ़ जिनके
परमार्थ-शांति क्या जाने
ख़ुशी का अर्थ क्या जाने.................
लोभी लोग गरीब,दबे- कुचलों का
भला कब चाहे
चाहे होते गरीब,
गरीबी की दलदल में न होता
जातिवाद का जहर न बरसता
भेदभाव की पौध रोपने वाले
मानवीय-असमानता की
पीड़ा क्या जाने
लोग ऐसे
ख़ुशी का अर्थ क्या जाने.................नन्दलाल भारती/26.01.2012
मानवीय समानता,सदभावना,राष्ट्र के प्रति समर्पण और सद्प्यार रहे........
इन्ही आशाओ/आकांक्षाओ के साथ गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर
पर आप सभी मित्रो का हार्दिक अभिनन्दन............नन्दलाल भारती/26.01.2012
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Wednesday, January 25, 2012
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