आज सुबह मैंने की है
प्रार्थना
खैर नई बात नहीं
आराधना
मैं तो मौन था
मस्तिष्क में चलचित्र था
कल का
दिल के रीलें
चल रही थी लगातार
बड़ी मुश्किल से दोनों को
जोड़ा
और कर भी
फिर शुरू हुई प्रार्थना
खुदा,गाड,वाहे गुरु
बुध्दम शरणम गच्छामि
जय महावीर यानि बस
प्रार्थना ही प्रार्थना .......
भूखों के रोटी के लिए
भूमिहीनो को खेती के लिए
निराश्रितों के आसरा के लिए
मानवता-समता,राष्ट्रहित
और सर्व कल्याण के लिए
आराधना
खुद के लिए कुछ नहीं
देखना है
कब होती है कबूल
प्रार्थना .........नन्द लाल भारती ..१२.०१.२०१२
Friday, January 20, 2012
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