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Hindi Sahitya
Friday, January 20, 2012
आस
हाशिये के लोग
भूलने लगे
भूख और प्यास
खुद रोज-रोज
मर रहे
बस जीवित है
तो उनकी आस
और
खुद पर viswas....Nand Lal Bharati
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ज़िंदगी चलती कहानी का है सार......
ना मौत का सामान बेचा करो....
नहीं खड़ा होता कोई दर्द में.........
चाहत नहीं और कोई.....
भरोसा, क्यों,कैसे और किस पर...........
वसीयत कौन और कैसी............... ?
ख़ुशी का अर्थ क्या जाने.................
और उपाय है यारो..
ऐसा है ये खूनी खंजर
जमाना बेगाना है प्यारे.....
कामयाबी की चाहमें...
हो नहीं सकता.....
कर्मयोगी हार नहीं सकता
कद अजर है.....
आस
आँखों के पानी
लूट गया हक़
बाट
ख्वाहिशें
प्रार्थना
कल मैंने सुना था
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