Thursday, February 9, 2012

जीती उम्र का खिताब

मुट्ठी बांधे आया
हाथ फैलाये जाना है
जिसको
क्या लेकर जायेगा
नाम उसी का
जुगनू जैसा चमकेगा
जिसने पर-सेवा का
काम किया होगा.................
दुनिया धिक्कारेगी
उसी को
भले रहा हो कंस या
हिटलर जैसा ताकतवर
दुःख-दर्द ना बांटा हो
शोषण-उत्पीडन का
काम किया होगा............
जीवन फुलवारियों का जहां
सुगंध बचेगी उसी की
नेकी का काम,आंसू पोंछा हो
उखड़े पाँव को
दुश्वारियां ना दिया हो
नाम उसी वक्त भाल पर होगा.............
दुःख दर्द,गफलत-रंजिशो के दौर
जीवन में आते जाते है
ऐसे दौर में भी उगती रहे
कोपले
सजती रहे सपनों की
क्यारियाँ
होंठो से खेलती रहे किलकारियां
वही सच्चा-सफल
जीवन पथ का राही होगा...............
मानवता-समता की खेती की जिसने
मधुर यांदे होगी जिगर उसके
मन में गूंजेगी शहनाई
उखड़े पाँव के काम आया जो
बांटा जीवन में खुशियाँ
जीती उम्र की पारियों का
खिताब
उसी इंसान के नाम होगा........नन्दलाल भारती... 09.02.2012

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