समझही-बुझही सबही
करैं स्व-हित विधि नाना
मानही जग दीप-जीवन दान
करैं उजास जान थे
जग जाना................
नाम अजर दीप
कल्याण करहि उजियारा
बिन भेद झरे दीप
झराझर
भला कहै संसारा...........
मानुष जीवन दीप सम माना
सद्कर्म भल मानुष
मौन दुधिया रोशनी सामना.............
बरसहि धूप भर-भर जीवन
भर जाए पाँव बड-बड छाले
जीवन में विष पिए
परमार्थ के मतवाले
भेद-भाव कि नहीं छल पाए
मलिन छाया
जनून यही बोवै उजाले................
नर से नारायण जग माना
दीन-दरिद्रों के काम जो आये
जीवन न्यौछावर सारा
दरिद्रनारायण की सेवा जिनका
बुध्द उनके बनते सहारा
अप्पो दीप भवः जीवन सारा..................
पल-पल घटती उमरिया
वंचित शोषित के जीवन
बोवै बहारा
हे दीन दरिद्रो की दुनिया
रोशन करने वाले
दरिद्र नारायण पूजेगा
वक्त करेगा आरती तुम्हारा..........नन्दलाल भारती... 10.02.2012
Thursday, February 9, 2012
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