सत्य को जय
संतोष को धन मान ले
मुश्किलों को ज़िंदगी के
प्यार का नाम दे
ठोकरों को जीत का
प्रवेश द्वार मान ले ............
दिल में समानता का भाव
इंसानियत को धर्म मान ले
बोलने को वचन
चाँद-तारे जैसे
शूल गड़े पाँव प्यारे
फूलो की बौछार मान ले................
कट जायेंगे मुश्किलों के दिन
उम्मीद को बस उम्र देना
मन की दिवार को
खुला द्वार देना.............
ज़िंदगी का खेल निराला
कही शहद कही विष का प्याला
जीवन को उफनती नदियाँ की
धार मान लेना
हार भी गए तो क्या..?
हार को भी जीत मान लेना..........नन्दलाल भारती/ 12.02.2012
Saturday, February 11, 2012
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment