अरे देवदूत दीवानों
खुद को पहचानो
मरे सपनों का बोझ ना उठाओ
मारे गए सपनों का भी मातम
ना मनाओ..............
भूल जाओ जख्म पुराने
खुली आँखों में सपने
सजाओ
ज़िन्दगी का सफ़र सुहाना
उसे अजमाओं................
जमाना कब हुआ अपना
सदा रहा बेगाना
विरोध के तूफ़ान में
डंटे रहने से नाम हुआ रोशन
ज़माने ने छिना
कमजोर का आसमान
गैर का ताज सजाया खुद के माथे
यारो ना घबराओ
कबीर -रविदास बुध्द को देखो
सोच का पंख लगाओ............
झुकेगा आसमान एक दिन
लूट के खिलाफ डंट तो जाओ
लडाई हक़ की हिम्मत जुटाओ...............
ना डरो ना करो परवाह
तूफ़ान राह अपनी निकल जायेगा
जाति भेद का त्यागो मोह
तुम निडर हो जाओ
पक्के इरादे पर अटल हो जाओ.........
नाम तुम्हारे जड़ देंगे
दुआओं के अनमोल रत्न
दीन-दुखियों के काम तो आओ
ईसा,बुध्द,वाहे गुरु को देखो
सदमार्ग पर निकल तो जाओ..........
दीन-वंचित तुम्हे ना भूला पायेगे
सदप्यार का अर्ध्य चढायेगे
उनका दर्द अपना बनाओ
उनके हित में उतर तो जाओ.................नन्दलाल भारती/11.02.2012
Friday, February 10, 2012
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