वो दुखती दास्तान
भूमिहीन मजदूर की पहचान
भूमिहीन खेतिहर मजदूर
चीरते धरती की छाती
बहाते पवित्र गंगा
उगाते हीरे-मोती,
करते दुनिया की भूख दूर
भूमिहीन खेतिहर मजदूर................
कहने को तो मजदूर देवता
वही भूखमरी के शिकार
चौखट पर तंगी के तांडव
औलादे अशिक्षित-अल्पशिक्षित
डराता मरते रोज-रोज
मरते सपनों का भार...........
टुकुर-टुकुर ताकते शासन की राह
चल पड़े कोई तरक्की की बयार
गूंजता खाली-खाली शोर
गरीब की मुट्ठी में कहाँ जोर
हाडफोड़ मेहनत,लागे
जीवन दंड कठोर...........
मुश्किलों भरा जीवन
अँधेरे में धंसता जा रहा
भूमिहीन मजदूर
पुश्तैनी कारोबार का ना नाम
ना कोई मान
भूमि आवंटन से जागी थी
सुख से जीने की आस
अवैध कब्जाधारियों ने
ड़ाल दी फांस
वादे और घोटाले बड़े-बड़े
भूमिहीन मजदूर गरीबी के
दलदल में खड़े..................
सपनों के सौदागर
लखपति-करोड़पति-अरबपति
हो रहे
भूमिहीन मजदूर गरीब
रोटी कपड़ा मकान को
तरस रहे
भूमिहीन खेतिहर मजदूरों की
कौन सुने परेशानी
दहकती सांस,पसीजता तन
रोता मन
भूमिहीन खेतिहर मजदूरों की
यही शादियों पुरानी कहानी...........नन्द लाल भारती/ 17.02.2012
Thursday, February 16, 2012
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