ज़िंदगी में मुश्किलें
कहाँ से,कब और कैसे
भान नहीं हो पाता
खड़ा हो जाता
बड़ा सा
सुलगता हुआ वीरान
हम लगने लगते है बौने .
मुश्किलें यानि जीवन सफ़र में
छोटे-बड़े हादशे
दैविक भी हो सकती है
मानव निर्मित हादशे
जो हक़ छिनने के लिए
औकात बताने के लिए
तकलीफ देने के लिए
कंडे से आंसू पोंछ्वाने के लिए
खड़ी कर दी जाती है
बड़ी-बड़ी मुश्किलें
ज्वालामुखी की तरह,
मुश्किलों के दौर में
संयम से खड़े रहने वाले
फूंक-फूंक कर रास्ता
गढ़ने वाले
पार कर जाते हैं
ज्वालामुखी जैसे
मुश्किलों के पहाड़
और उभर जाती हैं
दुनिया के कैनवास पर
ऐसे लोगों की जीवित
तस्वीरें.........नन्दलाल भारती 29.02.२०१२
Tuesday, February 28, 2012
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