पतझर हुआ मधुमास उनका
ऊपर हाथ नहीं जिनके,
फ़र्ज़ पर कुर्बान
कर्मयोगी,उच्च शिक्षित
भले रहे ,
वाह्य जगत में प्रतिष्ठित
दुश्वारियां जुड़ती साथ
उनके.....................
मरते सपने--आह-आंसू
तड़पन वीरान इन्तजार
हिस्से उनके..................
सदभावना-सदाचार के दीवाने
मिलता नफ़रत,अपजस,
दुत्कार उनको.......................
हो जाता फूस समान
मधुमास उनका
दमन की चिंगारी
दहन करती जीवन उनका...............
उम्मीदवारी में नाम तो था
दबंग-पहुँच-सत्ताधारियों ने
छिन लिया है हिस्से का
आसमान
जो शोषित-वंचित-हाशिये के लोग है
उनका...............नन्दलाल भारती/ 08.02.2012
Tuesday, February 7, 2012
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