Thursday, July 21, 2011

जीत के लिए

जीत के लिए

मेरा मन बार-बार कहता है
हार नहीं मानूंगा
क्योंकि mere
mere paas kalam की taakat है .
बार-बार की हार के बाद भी
नए उत्साह के साथ
bahujan hitaay-bahujan sukhay के bhaw
bhaw के साथ बढ़ता रहूंगा .
भले ही जीत
मुझसे दूर की जाती रहे
athawaa की jaati रहे
shadiyo की tarah आज के daur में भी .
kyon ना हार की खाईं में
ढकलने का प्रयास
किया जाता रहे yogytaao के बाद भी
मै अपनी जिद पर
खडा रहूँगा ।
मेरी जीत
हाशिये के आदमी की जीत होगी
क्योंकि मै भी तो हाशिये का
ho gaya हूँ yogy hokar भी .
देखता हूँ
मेरी खुली आँखों के सपने
कौन chhinataa है
और कब तक या
दबाकर रखता है मेरी जीत
एक दिन जीतूँगा विश्वास है .
यही विश्वास मुझे मजबूती देता है
बार-बार की हार के बाद भी
उठ खड़ा होने का साहस भी .
तभी तो हार कर भी
जीत के लिए
उठ खड़ा ho जाता हूँ
और
निकल पड़ता हूँ
उदेश्य की राह पर .
इस विश्वास के साथ की
एक दिन जरुर जीतूँगा
बार-बार की हार के बाद
क्योंकि हकदार के
हक़ पर कोंई कब तक
अवैध कब्ज़ा जमा
सकता है .
हक़ की लड़ाई ladane वाला
कभी हार नहीं सकता
यही तो कर रहे है
desh के karodo
दलित-शोषित-वंचित
आम hashiye के log
abhaaw se jujhate huye भी
मै भी usmae se एक हूँ
तो मै kaise हार maan सकता हूँ
हार-हार कर भी
जीत के लिए बढ़ता रहूँगा
देखता हूँ कब haarta हूँ
जीत के लिए ...nand lal bharati २२.०७.2011

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