Saturday, June 30, 2012

|| सावधान ||

|| सावधान ||
सावधान,मदहोश इंसान,
मत खो तू अपनी पहचान ,
देखो कल-आज गांजा,दारू
सब बर्बादी के सामान |
क्या दिया गाल भर धुंआ
भर-भर बोतल मद्यपान ?
लूटी कमाई,घर की तबाही
घट गया सम्मान |
भूख-अशिक्षा-अभाव,
नजर ना आया
कैसे इंसान ?
करो नशा से तौबा ,
पाई-पाई जोड़ो
गढ़ लो पहचान,
नशा है ,लकवा कैंसर टीबी
असमय मौत का सामान |
चाह कुटुंब की खुशहाली प्यारे
ताज दो मद्यपान |
मद्यपान-धूम्रपान से कर स्नेह
क्यों बन रहे शैतान ?
कसम है तुम्हे
कुटुंब के लिए तो
बनोए देव सामान
हुई बर्बादी जो,ना हो सकेगी भरपाई
सावधान ..................
नन्द लाल भारती
सामाजिक चिन्तक एंव साहित्यकार  
दिनांक ०1.०7.2012

ख़ास ...

ख़ास ...
क्या है भूख भूखा जाने
क्या है प्यास.......... प्यासा जाने
हवा में उछलता है सवाल
क्या है भूख  प्यास ..............?
अनुत्तर निरंतर .............
भूखे प्यासे को कल थी तलाश
आज भी नहीं है पास
बस कल से आस
कल-आज-कल प्यास ही प्यास
प्रतिफल नहीं रहा कभी ख़ास
गुत्थियों का जीवन
अबोध जीवन शायद था  ख़ास
नहीं है जो अब याद
यादे जो है हरी
वही से फूटते दर्द के सोते
कराह के फुहार
जहर है पीना है
जीवन होश में जीना है
भूखे प्यासे को कहाँ ..........\
डरा पाए   हार ,हार के बाद जीत
बस यही आस
उसके जीवन का आक्सीजन
भेद की बाते
हक़ के चोरो के दिए घाव
छेदते रहते है जिगर दिन -रात
उठता रहत है वही सवाल
कब मिटेगी भूख कब बुझेगी प्यास
आदमियत की सुवास
ढूढने पर नहीं मिलती आसपास
ठगों की भीड़ फुफकारती फांस
कैसी दुनिया कैसे लोग
कैसा शोषित का जीवन
नफ़रत की डरावनी गरजना
गढ़ने को विह्वल पहचान
आज भी शोषित आदमी की
जारी है तलाश
जीवन में उसके लबालब
बस आस ही आस
बाकी कुछ नहीं ख़ास ..................नन्द लाल भारती ३०.०६०२0१२