Saturday, June 30, 2012

|| सावधान ||

|| सावधान ||
सावधान,मदहोश इंसान,
मत खो तू अपनी पहचान ,
देखो कल-आज गांजा,दारू
सब बर्बादी के सामान |
क्या दिया गाल भर धुंआ
भर-भर बोतल मद्यपान ?
लूटी कमाई,घर की तबाही
घट गया सम्मान |
भूख-अशिक्षा-अभाव,
नजर ना आया
कैसे इंसान ?
करो नशा से तौबा ,
पाई-पाई जोड़ो
गढ़ लो पहचान,
नशा है ,लकवा कैंसर टीबी
असमय मौत का सामान |
चाह कुटुंब की खुशहाली प्यारे
ताज दो मद्यपान |
मद्यपान-धूम्रपान से कर स्नेह
क्यों बन रहे शैतान ?
कसम है तुम्हे
कुटुंब के लिए तो
बनोए देव सामान
हुई बर्बादी जो,ना हो सकेगी भरपाई
सावधान ..................
नन्द लाल भारती
सामाजिक चिन्तक एंव साहित्यकार  
दिनांक ०1.०7.2012

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