Friday, August 3, 2012

दर्द भरी दुनिया कैसे रास आयी..........?

दर्द भरी दुनिया कैसे  रास  आयी..........?
जीवन संघर्ष, माथे दहकता दर्द
अभाव की चिता पर, सुलगती काया
आँखों का रंग पीला -पीला
तन का रंग काला
डंसती  दिन की बेचैनी
डंसता पूरी रात सन्नाटा
जन्म मरन का हिसाब
जवानी कब बदली बुढौती में
वंचित आदमी की
नहीं मिलता कोइ लेखा जोखा
दुःख भरी जीवन कहानी
तन से झराझर श्रम
आँखों से रिसता पानी
अभाव का पुलिंदा
जीवन सार शोषित वंचित आदमी का
बार-बार डूबते सूरज में
जीवन का   उजास तलाशता
हाय रे चक्रव्यूह कभी ना टूटता
भेद -भ्रष्टाचार का बाण अचूक
वंचित के हक़ पर बार-बार लगता
कुव्यवस्था के पैमाने पर
नीच ठहरता
ना कोई मसीहा वंचित आदमी का अब
ना हक़ का रखवाला
कौन हरे दर्द कौन दे ऊँचाई
शोषित वंचित आदमी को
दर्द भरी दुनिया कैसे रास आयी ...........नन्द लाल भारती ---०३.०८.२०१२

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