Friday, March 14, 2014

नमन /कविता
बालिके तुम मेरी अराध्य हो
बस इसलिए नहीं कि
तुम एक लड़की हो
इसलिए भी कि ,
मानवीय परम्परा संस्कृति की वाहक हो
मर्यादा के मायने तुम ,
खूब समझती हो।
तुम्ही तो हो जो हमारे
आन -मान- सम्मान को
कुसुमित करती हो
दो कुलो कि ज्योतिका
जीवन विकासिनि तुम हो
सर्वस्व भार उठाने वाली हो ,
नंदिनी तुम अराध्य हो
तुम से हमारा अस्तित्व चमन है
हे नंदिनी तुम्हारे
अस्तित्व को नमन है। ...........
डॉ नन्द लाल भारती 13 .03 2014

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