Wednesday, October 19, 2011

रंग बदलती दुनिया

रंग बदलती दुनिया
में
भेदभाव लूट-खौफ का
अनसुना शोर
मच रहा है ।
हक़ को मौत
जाति-धर्मवाद
मीठा जहर
हो रहा ।
वफ़ा -ईमान
कर्तव्यनिष्ठ
बदनाम
हो रहा।
ऐसे जहां
हौशले रौंद
दिए जाते है
तालीम को
फंसी दे दी
जाती है ।
श्रम बेकार
पसीना दागदार
बनाया
जा रहा ।
रंग बदलती
दुनिया में
आदमी नील -पात्र
में
गिरे सियार से
बने शेर की तरह
आदमखोर
हो रहा है .............नन्द लाल भारती ..२०.१०.2011

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