Friday, January 20, 2012

बदल गयी नियति

बदल गयी है नियति
आज के आदमी की
गैर के सुख को देख
दुखी होने लगे हैं
लोग ...............
वो बुध्द थे वो महावीर
आदमी के दुःख से
कितने दुखी हुए थे
निकल पड़े थे
दुनिया के सुख के लिए
दुःख दर्द में खुशियाँ
कांटने वाले वंशज
और
कहाँ गए वे लोग ..............
दर्द का रिश्ता होता है
सबसे बड़ा
आज जख्म को खुरच कर
दर्द उभारने में
लगे हैं स्वार्थी लोग ..............
चेहरा बदलते
स्वार्थ की भूख पर करेगे
काबू
जब संतोष को धन
मानेगे
दर्द का रिश्ता सवारेगे
चौखट से दूर नहीं
भागेगा लोभ
काल के गाल पर
अमर हो जायेगे
पर-पीड़ा में हाथ
बढ़ाते लोग .................नन्द लाल भारती ......१९.०१.२०१२

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