Tuesday, March 27, 2012

केरला के प्रति कृतज्ञता

केरला के प्रति कृतज्ञता ................
केरला आकर लगा
मैं माँ की गोद में आ गया
सच भी तो है
ऐसा ही है केरला
हरा-भरा- विकास
सकूं के फलो से लदा
मैं माँ की याद में खो गया
मुझे लगा मेरी माँ का
आँचल सर आ गया
मैं माँ की गोद आ गया .....
माता मातृभूमि और भाषा
ऎसी ही है
देती हैं उड़ने को आकाश
पनाह और हर लेती हैं कराह
मन पर बोझ था
केरला की धरती ने आँचल फैला दिया
ह्रदय पर बसंत दस्तक दे गया
मुझे लगा प्यारे
सच मैं माँ की गोद में आ गया .........
केरला के लोग अपने लगे
बन्धु-बांधव परिवार जन-नातेदार
यही मातृभूमि का प्यारे
मैं भाव विभोर हो गया
स्वर्ग के द्वार केरला आ गया
मैं माँ की गोद आ गया ................
केरला स्वर्गभूमि
जिसके दर्शन की अंखिया रहती प्यासी
सलाम केरलवासियो
तरक्की आपकी
स्वाभिमान बढ़ गया
हम सब एक हैं
भले हो बोलियाँ अनेक
स्वर्गभूमि केरला तुम्हे सलाम
वंदे मातरम का ह्रदय से
शंखनाद हो गया
मैं माँ की गोद आ गया.....नन्द लाल भारती १५.०३.2012

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