Tuesday, May 7, 2013

साजिश का मंत्र /कविता

साजिश का  मंत्र /कविता 

बित गए जीवन के बसंत पच्चास
तालीम योग्यता भरपूर  पर हाय रे
भेद हारता गया हर बार
हार-हार नहीं हारा जीत की
जीवित है मन में आस .....
कर्म-धर्म-फ़र्ज़ जीत के औजार
ना जीत सका इस जहां में
जहां क्षेत्र-जाति वर्ण आदमी को
तौलने के है औजार ..............
यही है यहाँ सत्ता-धर्म राज
जहां बेमौत मारी जाती है
ख्वाहिशें
जीत कर भी हार जाता है
छोटे कुनबे का आदमी
यही है इस जहां का जातीय कुराज .......
इस जहां में छोटे को और छोटा
गरीब को अतिगरीब
उंच को और उंच धनिखा को धन-पशु
बनाये रखने की साजिश का
फलफूल रहा है मंत्र
जातिवाद,क्षेत्रवाद ,भ्रष्टाचार ,उत्पीडन,
शोषण की भट्ठी पर  सुलगता देश
जहाँ असहाय सा हो गया लोकतंत्र ......डॉ नन्द लाल भारती 08.05.2013

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