Saturday, September 7, 2013

अभिमान /कविता

अभिमान /कविता भेदभाव,पद-दौलत का अभिमान ,
जाति -भेद नफ़रत करे,
आग में घी का काम ,
बेलगाम करता मन,क्रोध और काम ,
कंस का यौवन धर जाता इन्सान
प्रेम,करुणा  सहानुभूति का,
 नहीं रहता भान ,
सोच,समझ, स्व-विवेक खो जाता ,
जबान ,बुरी आदत और गुस्सा पर
अभिमानी लगाम न रख पाता ,
बुरी संगत ,स्वार्थ और
 निंदा में डूबा इंसान
खुशामद की चाह ,घमंड ,
पद -दौलत का नंगा  प्रदर्शन
फ़र्ज़ से अनजान,
दमन की कश्ती पर सवार,
 कैसे पायेगा सम्मान ,
ना करो
जाति -पद दौलत का अभिमान ,
उठ जाएगा कद,
करो अक्ल,चरित्र तालीम का गुणगान
 दमकता रहेगा सम्मान।  
डॉ नन्द लाल भारती 08  .09 . 2013  

No comments:

Post a Comment