Friday, December 27, 2013

गरीब /कविता

गरीब /कविता
धनिखाओं  की बस्ती  में ,
दौलत का बसेरा ,
गरीबों की बस्ती में ,
भूख,अभाव का डेरा.……
वही मुसीबतों की कुलांचे ,
चिथड़ो में लपटे शरीर ,
चौखट पर लाचारी ,
कोस रहे तकदीर ………
गरीबो की तकदीरो पर ,
 डाके यहाँ ,
भूख पर रस्साकस्सी ,
मतलब सधते है वहाँ ……
मज़बूरी के जाल
उम्र बेचा जाता है ,
धनिखाओ की दूकान पर ,
पूरी कीमत नहीं  है .......
बदहाली में जीना मरना ,
नसीब है ,
अमीर की तरक्की ,
गरीब, गरीब ही रह गया है 
डॉ नन्द लाल भारती
आज़ाद दीप -15  एम -वीणा नगर
इंदौर (मध्य प्रदेश)452010
email- nlbharatiauthor@gmail.com

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