मिल गया आकाश थोडा॥
खुदगर्ज़ जमाने वालो ने
खूब किये है जुल्म ,
अस्मिता,कर्मशीलता
योग्यता तक को
नहीं छोड़ा है ।
नफ़रत भरी दुनिया में
कुछ सकून तो है यारो
कुछ तो है
जमाने में देवतुल्य
जिन्हें
मुझसे लगाव थोडा तो है ।
जमा पूंजी कहू
या
जीवन की सफलता
बड़ी शिद्दत से निचोड़ा है।
बड़े अरमान थे
पर रह गए सब कोरे
कुछ है साथ
जिनकी दुआओं से
गम कम हुआ थोडा है ।
मैनहीं पहचानता
नहीं वे
पर जानते है
हर दिन मिल जाते है
थोकबंद
शुभकामनाओ के
अदृश्य पार्सल
भले ही जमाने वालो ने
बोया रोड़ा है।
अरमान की बगिया
रहे हरी-भरी
हमने खुद को निचोड़ा है ।
मेरा त्याग और संघर्ष
कुसुमित है
मिल रही है दुआए थोडा-थोडा ।
दौलत के नहीं खड़े कर पाए ढेर
भले ही पद की तुला पर
रह गए बेअसर
धन्य हो गया मेरा कद
दुआओं की उर्जा पीकर थोडा-थोडा ।
मै आभारी रहूगा
उन तनिक भर
देवतुल्य इंसानों का
जिनकी दुआओं ने मेरे जीवन में
ना टिकने दिया
खुदगर्ज़ जमाने का रोड़ा
सवरगया नसीब
मिल गया
अपने हिस्से का आसमान थोडा .............नन्दलाल भारती.......३०.०६.२०१०
Wednesday, June 30, 2010
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