Saturday, September 1, 2012

बदला है इतिहास

बदला है इतिहास
चढ़ गए
 तरक्की की छाती
नसीब लूटने वाले
कहते हैं
बुरी नाजर वाला
तेरा मुंह काला
हो रहा उल्टा
डूब रहा पसीने से
जहां सींचने वाला
तरक्की बसी द्वार उनके
ठग जो
पसीने से ना हुआ
साक्षात्कार जिसका
कमजोर हाडफोड़ रहा जो
पसीने की रोटी
आंसू में डुबो कर
बसर कर रहा जो
किस्मत विरान
भूख-भय -भेद के दहकते
अंगारे
आस कल लागे सुहाना
श्रम के बीज आंसू से सींचे
होगी उम्मीद की खेती
भरपूर
आयेगी तरक्की
कमजोर के द्वार
श्रम जिसका स्वाभिमान
श्रमेव जयते
बदला है इतिहास
बढ़ा है मान ............नन्द लाल भारती ....०२.०९.२०१२

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