चन्द्रहार
मढ़े एकता के
भाल चन्द्रहार ,
विषमता से विछोह
समभाव की मनुहार ।
नया खून नया जोश
ताज दे बात पुरानी ,
आज़ादी के रखवालो
एकता की अमर कहानी ।
कण-कण में
एकता का भाव
निश्छल बह रहा ,
उर में कल-कल करता
गंगा जल बह रहा ।
एकता की अमर
गाथा है हिन्दुस्तानी
उजली पहचान
दुनिया ने है मानी।
जातिधर्म का उन्माद
एकता का करे
खंडन
भेद की धूमिल छाया
समता मजबूत है
बंधन ।
शांति का सुर
बसंत हो
बारहों मॉस
मिटे मन की दरारे
कायम रहे
एकता का
इतिहास .....................नन्द लाल भारती /१८.०१.२०११
Tuesday, January 18, 2011
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