Tuesday, January 25, 2011

जिंदाबाद.......

जिंदाबाद......
राष्ट्रीय त्यौहार आज़ादी का दिन
देश-घर-आहोहावा और
हर चोला के मग्न होने का दिन
इसी दिन की इन्तजार में
अनगिनत शहीद हो गए
खुद के लहू से
आज़ादी कि दास्तान लिख गए ।
आज़ादी का जश्न तिरंगा की मस्ती
हमारी जान, बाँट रहा ख़ुशी
धरती और गगन में
और
हम देशवासी एक दूसरे को ।
हमारी ख़ुशी को कोई
पैमाना नाप नहीं सकता
नहीं
समंदर को स्याही
और
पेड़ो को लेखनी बनाकर
लिखा जा सकता
हम इंसान,इंसानियत के
सर्वधर्म समता,सद्भावना के पुजारी ।
एक दर्द है हमारे दिलो में भी
आँखों को तरबतर कर देता है
आंसू से ।
आम हाशिये के आदमी को
आज़ादी के इतने दशको बाद
दीदार नहीं हुए
असली आज़ादी के
वह आज भी
आज़ादी से कोसो दूर फेंका ।
भय-भूख,शोषण-उत्पिदान,भूमिहीनता,दरिद्रता को
लाचार नसीब मान बैठा है
यही बड़ा दुःख है दिल का ।
कारन भी ज्ञात है
हमारे अपने मुखौटाधारी
लोकतंत्र के पहरेदार
छीन रहे है
शोषित वंचित आम आदमी का हक़
छिना तो मुग़ल शासको,सामंतवादी
और
गोरो ने भी मचा दिया था
तबाही
लोकतंत्र में भी
हाशिये का आदमी तरक्की से बेदखल
यह तो असली आज़ादी नहीं
न तो आज़ादी के लिए
जान देने वालो की थी यह चाह ।
अपना देश अपना संविधान
आम आदमी की तरक्की
आज आम आदमी ही असली
आज़ादी के सपने में जी रहा है
देश की आज़ादी के जश्न के दिन
वह भी बहुत खुश है
आजाद देश की आजाद हवा पीकर ।
देश में व्याप्त भ्रष्ट्राचार,अत्याचार,नक्सलवाद से
उबरने के लिए
एक और जंग की जरुरत है
तभी मिल सकेगी
आम हाशिये के आदमी को असली आज़ादी
तभी वह चल सकता है
विकास के पथ पर ।
ऐसा हो गया तो
विहास उठेगी शहीदों की आत्माये
असली आज़ादी को देखकर ।
आओ कर दे शंखनाद
विहास उठे
आम हाशिये का आदमी
राष्ट्र बन जाए धर्म
ऐसी सद्भावना कर सकती है
उध्दार
देश और हाशिये के आदमी का
यही सपना भी था अमर शहीदों का
आओ एक बार फिर
खा ले कसम
देश और आम आदमी के हित में
जिससे हमारी आज़ादी रहे आबाद
हर देशवासी क एक हो सुर
भारत माता की जय
२६ जनवरी जिंदाबाद ..............नन्द लाल भारती

1 comment:

  1. अच्छी प्रस्तुति ...

    गणतन्त्र दिवस की सभी को हार्दिक शुभ-कामनाये

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