Thursday, November 25, 2010

जी लेते है
दीवाने आंसुओ से
प्यास बुझा लेते है,
चाहत भले
ना हो पूरी
ख्वाबो में
जी लेते है ।
नींद बनाये भले ही
दूरी
करवटों में
राते
गुजार लेते है ।
भूखे हो
या
प्यासे
मिल बांटकर
जी लेते है ।
अमीरी
ना हो
पूरा सपना
गरीबी में भी
मान से
जी लेते है ।
नफ़रत में भी स्नेह का
बीज बो देते है ।
किस्मत करे
बेवफाई चाहे
पसीने की रोटी
तोड़े लेते है ।
ऐसे हम दीवाने
तूफानों को भी
चिर देते है ।
जीवन जंग है भारती
हारकर भी
हम जीत लेते है ॥ नन्दलाल भारती...

1 comment:

  1. सुंदर भावाव्यक्ति अच्छी लगी

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