Wednesday, October 20, 2010

बचपन

बचपन ..
सोचा था ,
बड़े मन से
बच जायेगा
बचपन अपना ।
न बचा न हुआ
पूरा सपना ।
भावनाओ के साथ
आकाश छूने की
लालसा
जिंदगी चीज
क्या
बस खेल खा
सो जाना ।
आत्मीयजनो का प्यार
तहे दिल से
खुश हो जाना ।
सबका स्नेह
सब में बाँट देना
अनजाने में
बचपन सरक गया।
बचपन पर सवार
जवान हो गया
जवानी के साथ
सांध्य की राह चल पड़े
सोचा था
क्या
क्या से
क्या हो गए ।
यादो में खोये रह गए ।
बचपन गया
जवानी गयी
बूढ़े हो गए
सोचा था
बड़े मन से
होगा बचपन का
साथ
सोचा धरा रह गया
बचपन
छोड़ गया हाथ ....................नन्दलाल भारती

No comments:

Post a Comment