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गोरखपुर में बच्चे मरे नहीं हैं
मारे गए हैं,
हत्यारों की आदत हो गयी है
पहले कत्ल करना
बाद में अफसोस ज़ाहिर करना
एक और काम निष्पक्ष जांच का
आश्वासन
फिर किसी अदने को बलि का
बकरा बनाना
सबसे जरूरी काम हो जाता है
असली गुनाहगारो से बेखबर
रहना
बच्चे तो रोज पैदा होते है
मरते भी है
हां ये बच्चे संख्या में तनिक
ज्यादा थे
अनुमान से ज्यादा बच्चों का
कत्ल हो गया,
बच्चों के क़त्ल का दर्द
गाल बजाने वालो को क्यों .....?
सामूहिक क़त्ल का दर्द
मारे गए बच्चों के परिवार जनों
उनकी माताओं को अधिक है
हां भारत माता भी रो रही हैं,
अंधे बहरों के साम्राज्य में
शोषितों पीड़ितों की सुनता कौन है ?
सब कुर्सी कुर्सी के खेल में मस्त हैं
अदने दुःख दर्द से पस्त हैं
बच्चे मरते हैं तो मरते रहे
उनकी बला से..… ?😢😢😢😢😢😢
डॉ नन्दलाल भारती
13/08/2017
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