संभावनाए
दूर-दूर
तक राह दिखाती है
सच काम भी
औरो के बहुत आती है ,
संवेदनाये
वेदना बन जाती है
तब ,
महफ़िल में घाव
पाती है जब
सरेआम विषपान
कराया जाता है
जाम की थाप पर
बदनाम किया जाता है
क्या नाम दू
ऐसे अफ्सानो को
खुदा समझ दे
बेगानों को
मेरा क्या भारती ?
शब्दों की धार जीवन
जहर पी जाऊँगा
बेगानों के बंज़र को
अपनेपन का
नाम दे जाऊगा .....नन्द लाल भारती १९.०७.२०१०
०००००
खाक खाहिशो के
जंगल को
नीर भरी आँखों से
सींचा करो ,
एक मुसाफिर है
हम
सदभाव के बोल
तो
बो दिया करो .... नन्द लाल भारती १९.०७.२०१० ,
०००००
कायनात को भान है
आदमी वही
होता
महान है ।
जुड़ जाये
जो गैरों के
दुःख-दर्द से
नहा उठे
समानता के भाव से ।
ईसा बुध्द याद है
जीवित
जिनकी फ़रियाद है
भारती
सद्कर्म की राह
आदमी महान
होता है
सच
खून से बड़ा
रिश्ता
दर्द का होता है .....नन्द लाल भारती १९.०७.२०१०
Monday, July 19, 2010
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