आरजू॥
आरजू है खुदा तुमसे
कांटो को भी भर दे
रहनुमाई से ।
ना धंसे
वे
उस पाँव में
बढ़ रहे हो
जो
जनकल्याण में ।
काँटों ने तो फूलो को ,
सवार रखा है
समाज के कांटो ने
तबाह कर रखा है ।
मशविरा है ,
हमारी समाज के
कांटो को साज दो
आदमियत की
सुरक्षा का भार
उन पर डाल दो ......नन्द लाल भारती ...०२.०७.२०१०
Friday, July 2, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत बढ़िया....सुझाव बढ़िया लगा...
ReplyDeletenice
ReplyDeleteबहुत उम्दा!
ReplyDelete