उम्र गुजर जाएगी
योंहि
उम्मीद के सहारे ।
मुरझाई जिंदगी को
बुध्द की तरह
छांव दिया
करो प्यारे ...नन्द लाल भारती १९.०७.२०१०
०००००
जिंदगी के सफ़र में
निशान छोड़ते जाइए
ताकि
आने वाला
मुसाफिर पद चिन्ह पर
चल सके .....नन्द लाल भारती ॥ १९.०७२०१०
०००००
आज मुस्कराने को जी
चाहता है
मुबारक हुआ
दिन आज का
गगन है मगन
साथ आपका
फूलो का संग
सभी को सुहाता है
आज मुस्कराने को
जी चाहता है नन्दलाल भारती ... १९.०७.२०१०
०००००
माटी की काया
हमारी तुम्हारी
फ़र्ज़ का
बोझ
है भारी
औरो के भी
हक़ है
नहीं कोई शक है
किसी को
आना
किसी को
जाना है
कर्म की डगर पर
याद छोड़ जाना है ....नन्द लाल भारती १९.०७.२०१०
०००००
खौफ खा जाता हूँ
कलि परछाईया देखकर
खुदा खैर करे ,
जी लेता हूँ
औरो की
खुशिया देखकर ......नन्द लाल भारती १९.०७.२०१०
Monday, July 19, 2010
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