Monday, July 5, 2010

लोकमैत्री

लोकमैत्री ..
लोक मैत्री की बाते
बिती कारी राते
बिहसा जन-जन
छाई जग में
उजियारी
नया सबेरा नई उमंगें
जीवित
मन के प्रपात
फ़ैलाने लगा
अब
लोकमैत्री का प्रकाश ।
सद्भावन का उदय
मन हुआ चेतन
जाति धर्म की बात नहीं
जग सारा हुआ
निकेतन ।
मान्य नहीं
जातिधर्म का समर
जय गान सद्भावना का
बिहस उठेगा
जीवन सफ़र ।
विश्वबंधुत्व की राह
नहीं होगा अब
मन खिन्न
ना होगा भेदभाव
ना होगा आदमी भिन्न।
भारती लोकमैत्री का भाव
विश्व एकता जोड़ेगा
ना गैर ना बैर
हर स्वर
सद्भावना की
जय बोलेगा ......नन्द लाल भारती ॥ ०५.०७.२०१०

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