Tuesday, July 20, 2010

मन की बात -३

दर्द कितना
क्यों न हो भारी
पलको को
नाम ना कीजिये
रात चाहे
जितनी भी हो
कारी
उम्मीद के उजास से
बसर कर लीजिये ...नन्दलाल भारती २०-०७-२०१०
०००००
आप योही मुस्कराते रहे ,
अभिलाषा है हमारी
दुआ कीजिये
कलम थामे
जिन्दगी
कट जाए
हमारी ....नन्दलाल भारती २०.०७.२०१०
०००००
विष के दरिया में
रहकर
भी जी लेता हूँ
यादो के
के झरोखे में
दर्द
आज भी
पी लेता हूँ। नन्द लाल भारती ..२०.०७.२०१०

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